पंच केदार भगवान शिव को समर्पित पांच हिंदू मंदिरों का एक समूह है, यह उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में मौजूद है, ऐसा माना जाता है कि इन पांचो मंदिरों का निर्माण पांडवों ने किया था, इनको महाभारत काल से जोड़कर देखा जाता है, माना जाता है जब पांडव लंबे समय से एक जगह से दूसरी जगह भगवान शिव की तलाश में भटक रहे थे तब उनको  भगवान शिव के पांच अलग-अलग हिस्सों में दर्शन हुए थे, कहा जाता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन पांच मंदिरों का निर्माण किया था और वहां पर पूजा भी की थी|

पंच केदार की विशेषता

प्रथम केदार केदारनाथ में हमें भगवान शिव के बेल रूप में पृष्ठ भाग (बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजे जाते हैं) के दर्शन होते हैं,  द्वितीय केदार मध्य महेश्वर धाम ने भगवान शिव के बेल रूप के मध्य भाग (भगवान की नाभि ) के फिर तृतीय केदार धाम तुंगनाथ में भगवान शिव के बैल रूपी धड़ (भुजा) के फिर चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख रूप में दर्शन प्राप्त होते हैं, और पंचम केदार कल्पेश्वर धाम  में वर्ष भर भगवान शिव की जटा रूप में दर्शन किए जाते हैं|

केदारनाथ –

समुद्र तल से 11657 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर विश्व विख्यात है, यहां उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मिलित होने के साथ-साथ चार धाम और पंचम के आधार में से भी एक धार्मिक स्थल है, यह एक प्रसिद्ध विशेष धाम है, माना जाता है इस मंदिर का निर्माण पांडवों के वंशज जन्मेजय ने करवाया था, जबकि कहा जाता है कि वर्तमान में जो केदारनाथ मंदिर है इसका पुनः निर्माण 8वी से 9वी सदी में आदि शंकराचार्य जी ने कराया था, यह मंदिर हिमालय क्षेत्र में स्थित होने के कारण शीत ऋतु के दिनों में भारी बर्फबारी के चलते बंद रहता है|

मध्यमेश्वर धाम –

मध्यमेश्वर रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 11470 फीट की ऊंचाई पर चौखंभा शिखर की तलहटी में स्थित है, माना जाता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात पांडवों में से एक कुंती पुत्र भीम ने कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों और ब्राह्मणों की हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए मध्य महेश्वर मंदिर का निर्माण किया था, यहां पर भगवान शिव के भीम को मध्य भाग (भगवान की नाभि ) रूप में दर्शन हुए थे, मान्यता है कि यहां के जल की कुछ बूंदें ही मोक्ष के लिए पर्याप्त हैं।

तुंगनाथ धाम-

तुंगनाथ धाम समुद्र तल से 11349 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, यह दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना गया है, इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया था जिस पश्चात उनको यहां पर भगवान शिव के धड़ (भुजा) के दर्शन हुए थे इस मंदिर के भी शीतकाल में 6 माह के लिए कपाट बंद रहते हैं, इसलिए भगवान तुंगनाथ के शीत काल में दर्शन मक्कूमठ में होते हैं|

रुद्रनाथ धाम –

रुद्रनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है, यह समुद्र तल से 11808 फीट की ऊंचाई पर एक गुफा में स्थित है यहां पर भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं, यह भारत में एकमात्र स्थान है जहां पर भगवान शिव के मुख रूप में दर्शन मिलते हैं, इस मंदिर तक पहुंचाने के लिए श्रद्धालुओं को सदर गांव से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करनी होती है जो की बहुत ही कठिन मानी जाती है, लेकिन वादियों के मनमोहक दृश्य थकान को दूर कर देते हैं जिस कारण श्रद्धालु को यहां पर परम आनंद की अनुभूति होती हैं|

कल्पेश्वर धाम-

कल्पेश्वर धाम समुद्र तल से 2134 मीटर ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित है, कहते हैं कि इस स्थल पर दुर्वासा ऋषि ने कल्प वृक्ष के नीचे घोर तप किया था, जिस कारण इसे कल्पेश्वर नाम दिया गया है, कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव के सर व जटाए दिखाई दी थी, यह मंदिर वर्ष भर दर्शन के लिए खुला रहता है, हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य में स्थित यह स्थान असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने में समाए हुए हैं, यहां हर वर्ष शिवरात्रि को विशेष मेला भी लगता है|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *